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Volume : V, Issue : X, November - 2015

“समकालीन महिला कथाकारों की दृष्टि में सामाजिक समस्याएँ“

ललिता रानी , None

By : Laxmi Book Publication

Abstract :

हिन्दी कथा साहित्य में स्त्री की पहचान को लेकर संघर्ष जारी है। स्त्री की अस्मिता को इस विन्दु तक लाने का श्रेय दृश्य माध्यमों और महिला आन्दोलनों को दिया गया है। अब भारतीय नारी ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जगत की नारियाँ चुप नहीं रह सकतीं। आज नारी समाज ने चुप्पी तोड़ने का संकल्प ले रखा है। हिन्दी कथा साहित्य में इसी संकल्प को लेकर लेखिकाएँ नए विकल्पों का सृजन कर रही हैं। स्वातंत्र्योत्तर भारत में जब संयुक्त परिवारों का विघटन होने लगा तो स्त्री-पुरुष सम्बन्धों में एक नया मोड़ देखने को मिला। विशेषकर पाश्चात्य नारी-मुक्ति आन्दोलन ने भारतीय नारी समाज को भी प्रभावित किया एवं खण्डित स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की एकाधिक त्रासदियाँ समाज में देखने को मिली।

Keywords :


    Article :


    Cite This Article :

    ललिता रानी , None(2015). “समकालीन महिला कथाकारों की दृष्टि में सामाजिक समस्याएँ“. Indian Streams Research Journal, Vol. V, Issue. X, http://isrj.org/UploadedData/7352.pdf

    References :

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    4. स्त्री अस्मिता: साहित्य और विचारधारा, पृष्ठ 219, सम्पादक जगदीश्वर चतुर्वेदी.
    5. स्त्री-विमर्श के अंतर्विरोध, पृष्ठ 341, प्रभा खेतान.
    6. स्त्री-विमर्श के नए आयाम, पृष्ठ 389, जगदीश्वर चतुर्वेदी.
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    99. स्त्री अस्मिता: साहित्य और विचारधारा, पृष्ठ 223, सम्पादक जगदीश्वर चतुर्वेदी.
    100. हंस का सम्पादकीय अंश, पृष्ठ 2, राजेन्द्र यादव.

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