Volume : XIII, Issue : IX, October - 2023 आधुनिकता के बोध और उपन्यासकार कृष्णा सोबतीप्रा. प्रमोद घन, - By : Laxmi Book Publication Abstract : मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में होता है। युवावस्था एक ऐसी ही अवस्था है जिसमें व्यक्तित्व का विकास पूर्णता की सीमा लगभग प्राप्त करता है। Keywords : Article : Cite This Article : प्रा. प्रमोद घन, -(2023). आधुनिकता के बोध और उपन्यासकार कृष्णा सोबती. Indian Streams Research Journal, Vol. XIII, Issue. IX, http://isrj.org/UploadedData/11052.pdf References : - 2. कृष्णा सोबती, मित्रो मरजानी, आईएसबीएनः ९७८-८१२६७१२३६६, राजकमल प्रकाशन, ९वीं संस्करण-२०१८, पृष्ठ-९८
- 1. कृष्णा सोबती, डार से बिछुड़ी, आईएसबीएनः ९७८८१२६७०२९९२, राजकमल प्रकाशन, प्रथम संस्करण-२००३, पृष्ठ-१२३
|
Article Post Production
No data exists for the row/column.
|