Volume : II, Issue : I, February - 2012 नदी पिछं नहीं मुडती उपन्यास में चित्रित परिवर्तित नारीडाॅ. मिलिंद साळवे Published By : Laxmi Book Publication Abstract : परंपरागत रूप से सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा पारिवारिक नियमों में पिसती नारी आज पढ-लिखकर केवल विद्वन नहीं बनी अपितु खुद के पैरों पर खडी होकर अपना तथा अपने परिवार का जीवन निर्वाह भी कर रही है। Keywords : Article : Cite This Article : डाॅ. मिलिंद साळवे, (2012). नदी पिछं नहीं मुडती उपन्यास में चित्रित परिवर्तित नारी. Indian Streams Research Journal, Vol. II, Issue. I, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/6639.pdf References : - नदी पीछे नहीं मुडती - से. रा. यात्री - पृ. 6
- वही - वही - पृ. 7
|