Volume : II, Issue : X, November - 2012 भारत में जनजातीय कला का स्वरूप और विकास की संभानाऐ: (एक समाजशास्त्रीय विश्लेषण)मीनू तंवर Published By : Laxmi Book Publication Abstract : भारतीय जनजातियां कला और संस्कृत के संवाहक के रूप में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। यद्यपि विज्ञान और औद्योगिकी की अवस्थाओं से जनजातीयां वाकिफ नहीं है। Keywords : Article : Cite This Article : मीनू तंवर, (2012). भारत में जनजातीय कला का स्वरूप और विकास की संभानाऐ: (एक समाजशास्त्रीय विश्लेषण). Indian Streams Research Journal, Vol. II, Issue. X, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/6435.pdf References : - Habal, E.A. : Readings in Anthropology. McGraw-Hill Books.
- Mazoomdar, Madan : An Introduction to Social Anthropology, Asia Pub.House, Bombay
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