Volume : I, Issue : II, March - 2011 21वीं सदी के काव्य में राष्ट्रीय चेतनासोनाली निनामा Published By : Laxmi Book Publication Abstract : राष्ट्रीय चेतना मूलक बालसाहित्य भावात्मक और वैचारिक, दोनों ही प्रकार का है पर राष्ट्र या राष्ट्रीयता की परिकल्पना बड़ों की देन है जिसका कालान्तर में बालसाहित्य में समावेश हुआ। अब राष्ट्र शब्द का प्रयोग देश के पर्याय के रूप में भी होने लगा है और इस प्रकार राष्ट्र प्रेम या देश प्रेम का एक ही तात्पर्य हो गया है। Keywords : Article : Cite This Article : सोनाली निनामा, (2011). 21वीं सदी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना. Indian Streams Research Journal, Vol. I, Issue. II, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/6297.pdf References : - काव्य संग्रह - साधना - डाॅ. राष्ट्रबंधु, पृष्ठ 10
- बालकाव्य सुधा - डाॅ. रामेश्वर प्रसाद गुप्त, पृष्ठ 7
|