Volume : I, Issue : I, February - 2011 आधुनिक काव्य में मानवी मूल्य कानडे राजाराम दादा Published By : Laxmi Book Publication Abstract : विद्वानों ने आधुनिक काल को गद्यकाल, विद्रोही काल, परिवर्तन काल के साथ-साथ वैज्ञानिक काल कहा हैं । आ.शुक्ल ने इसे गद्यकाल इसलिए कहा कि सन 1857 ई के पश्चात गद्य साहित्य का विकास अधिक हो गया । साथही काव्य-साहित्य का भी बहुमुखी विकास हुआ है। इसलिए आ.मिश्रबंधुने इसे गद्यकाल कहने के बजाय परिवर्तन काल कहना पसंद किया है। डॉ.प्रतिपाल सिंहने इस युग को ‘विद्रोही काल’ कहना संगत माना हैं । अर्थात् सन 1857 के पश्चात् के हिंदी काव्य में अनेक प्रवाह विकसित हैं । छोटे छोटे लेकिन काफी महत्वपूर्ण चरणों मे विभाजित आधुनिक काल को आलोचकों ने कुल दो खंडों में विभाजित किया हैं । Keywords : Article : Cite This Article : कानडे राजाराम दादा, (2011). आधुनिक काव्य में मानवी मूल्य . Indian Streams Research Journal, Vol. I, Issue. I, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/6259.pdf References : - www.isrj.org
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