Volume : III, Issue : XI, December - 2013 आचार्य महाप्रज्ञ की दृष्टि में ध्यान हेमलता जोशी Published By : Laxmi Book Publication Abstract : ध्यान को योग का प्राण माना गया है | इसीलिए सभी परंपराओं में ध्यान को विशेष महत्त्व दिया गया है चाहे वह अष्टांग योग में हो अथवा जैन योग हा बौद्ध योग में | इससे अतिरिक्त अर्वाचीन ध्यान योग की परंपराओं में भी ध्यान को विशेष स्थान दिया गया है | इससे स्पष्ट है कि ध्यान का वास्तव में अपना विशेष महत्त्व है | ध्यान तो एक है लेकिन उसकी परिणति अनेक रूपों में होती है | Keywords : Article : Cite This Article : हेमलता जोशी , (2013). आचार्य महाप्रज्ञ की दृष्टि में ध्यान . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. XI, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3428.pdf References : - अवचेतन मन से सपंर्क , पृ.३७
- मन के जीते जीत , पृ.१२
- मैं कुछ होना चाहता हूं , पृ.५२
- सोया मन जग जाए , पृ.६०
- मैं कुछ होना चाहता हूं , पृ.३२
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