Volume : III, Issue : XI, December - 2013 जनकवि नागार्जुन की प्रगतिशील रचनाधर्मिता पल्लवी प्रकाश Published By : Laxmi Book Publication Abstract : आधुनिक युग में कविता और कवि दोनो के ही उत्तरदायित्व बढ गये हैं. आज की भागम-भाग भरी जिंदगी में ऐसी कविता की जरुरत है जो जीवन के कठोर यथार्थ को सामने रख कर मनुष्य को कर्मक्षेत्र की तरफ अग्रसर करे. नागार्जुन एक ऐसे ही कवि हैं जिन्होने प्रगतिशील जीवन-मूल्यो को अपनी कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया है और जो सच्चे मायने में जन-कवि हैं. Keywords : Article : Cite This Article : पल्लवी प्रकाश, (2013). जनकवि नागार्जुन की प्रगतिशील रचनाधर्मिता . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. XI, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3384.pdf References : - नागार्जुन, प्रतिनिधि कविताये, राजकमल पेपरबैक्स, बारह्वाँ संस्करण—2013
- प्रो. मैनेजर पांडेय, आलोचना की सामाजिकता, वाणी प्रकाशन,प्र0 संस्करण-2005
- डॉ. नामवर सिन्ह,कविता के नये प्रतिमान,राजकमल प्रकाशन, चौथा संस्करण—1990
- राजेंद्र यादव, (सँ.) हंस, अगस्त, 2013
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