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                             Volume : III, Issue : XI, December - 2013 रामचरितमानस: पाश्चात्य विद्वानो की दृष्टी में  आभा एस. खेडेकर  Published By : Laxmi Book Publication Abstract : गोस्वामी तुलसीदास मूलरूप से मानवीय जिवानास्था के कवि माने जाते है | उनका महानतम काव्य ‘रामचरितमानस’ मध्ययुगीन हिन्दी – साहित्य का श्रेष्ठ्तय काव्य है | रामचरितमानस में उन्होंने अपने आराध्य के माध्यम से समष्टि चेतना को समर्पित किया है तथा इसकी सबसे बडी उपलब्धि है की इसे लोक – जीवन में व्यापक प्रतिष्ठा मिली | ‘तुलसीदासजी’ का पाठक वर्ग बहुत व्यापक है | Keywords :  Article : Cite This Article : आभा एस. खेडेकर , (2013). रामचरितमानस: पाश्चात्य विद्वानो की दृष्टी में . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. XI, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3352.pdf References : - एच.एच.विल्सन, रिलीजियस सेक्टर आफ दि हिन्दुज , पृ.३२
 - डॉ. ग्रियर्सन तुलसी ग्रंथावली भाग तीन, पृ.१०-११ 
 - हेनरी मिलर दबुक्स आफ माय लाइफ पृ.२८२ 	
 - मानस अनुशीलन पाश्चात्य विचारक-ब्रज गोपालसिंह 
 - डॉ. सूर्यप्रकाश दीक्षित- तिलसी मानस आस्था का अधर्य     
  
                            
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                            Article Post Production
                                                        
                            
                            Article Indexed In
                            
                            
                            
                            
                            
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