Volume : III, Issue : X, November - 2013 आत्मा के तलास के लिए कबीर वाणी सुनीता बामल Published By : Laxmi Book Publication Abstract : सांसारिक कष्टों से पीड़ित जनता के दू:खों का निवारण करने के लिए , उनका उदधार करने के लिए समय – समय पर ज्योतिपूत्रों का अवतरण इस नश्वर जगत की विशेष विभूति रहा है | ऐसी ही महत – विभूतियों में एक दैदीप्यमान ज्वाला कबीरदास जी के रूप में उदित हुई | निर्गुण काव्यधारा के प्रवर्तक संत कबीरदास जी मध्यकालीन भारतीय साहित्य की धड्कन माने जाते है , उनका नाम सुनते ही ह्रदय आदोलित हो उठता है | वे उत्तरी भारत के भक्ति आदोलन के अग्रणी संतो में से एक है | Keywords : Article : Cite This Article : सुनीता बामल , (2013). आत्मा के तलास के लिए कबीर वाणी . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. X, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3314.pdf References : - भगवद गीता गीता -३ / ३८
- प. देवकी नन्दन , कबीर पृ.८९
- गुरु अर्जुन देव, आठ ग्रंथ, मठ | वार की माझ, पृ. १४२
- अभिलाष दास, बीजक , पृ. १११
- डॉ.रामकुमार वर्मा , कबीर का रहस्यवाद, पृ. २२
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