Volume : III, Issue : I, February - 2013 “कृष्णा सोबती के कथा साहित्य में नारी की बदलती स्थिति”निधी सैनी Published By : Laxmi Book Publication Abstract : “यत्र नार्यस्तू पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता” नारी का स्थान समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है | नारी पुरे परिवार की धुरी होती है | शरीर का संचालन करने में जैसे रुढ की हड्डी का महत्व है वैसे हि परिवार का सुचारू रूप से संचालन नारी द्वारा किया जाता है | प्राचीन काल में नारी को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था | Keywords : Article : Cite This Article : निधी सैनी, (2013). “कृष्णा सोबती के कथा साहित्य में नारी की बदलती स्थिति”. Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. I, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3270.pdf References : - अमृता शेरगिल: ‘मित्रो मरजानी’, आवरण है पृष्ठ
- कृष्णा सोबती: ‘हम हशमत’ , पृष्ठ २५६
- कृष्णा सोबती: ‘सूरजमुखी अंधेरे के‘,पृष्ठ ३६
- कृष्णा सोबती: ‘जैनी मेहरबान सिंह’, पृष्ठ ८७
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