Volume : III, Issue : X, November - 2013 गुप्तजी की योशोधरा में पल्लवित सामजिक दृष्टिकोणटी. श्रीनिवासुलू Published By : Laxmi Book Publication Abstract : योशोधरा देवदह के महाराजा दंडपानी की पुत्री है | परिणय के लिय आयोजित मोहोत्सोव में कपिलवस्तु के राजकुमार सिध्दार्थी सभी राजकुमारिया में योशोधरा को सर्वश्रेष्ट मानकर परिणय कर लेते है योशोधरा का जीवन सुखमय राह | उनको एक पुत्र भी होता है | लेकिन अपने नेत्रों से जरावस्था को देख कर खिन्न हो जाते है सिद्धार्थ विश्व में प्राप्त विपुल वित्त का स्वेच्छा परित्याग कर वीतराग हो जाता है | Keywords : Article : Cite This Article : टी. श्रीनिवासुलू, (2013). गुप्तजी की योशोधरा में पल्लवित सामजिक दृष्टिकोण. Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. X, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3257.pdf References : - यशोधरा – मैथलीकरण गुप्त – पृ.२१. साकेत प्रकाशन , सं -१९७९
- आधुनिक हिन्दी कविता में प्रेम और सौन्दर्य – डॉ. रामेश्वर लाल खण्डेलवाल पृ.२८३
- यशोधरा – मैथलीकरण गुप्त – पृ.२१. साकेत प्रकाशन , सं -१९७९
- यशोधरा – मैथलीकरण गुप्त – पृ.२१. साकेत प्रकाशन , सं -१९७९
- यशोधरा – मैथलीकरण गुप्त – पृ.२१. साकेत प्रकाशन , सं -१९७९
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