Volume : III, Issue : X, November - 2013 केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं में प्रेम का स्वरूप अनुज कुमार तरुण Published By : Laxmi Book Publication Abstract : प्रेम हृदय की अत्यंत सूक्ष्म वृति एंव सृष्टि की चिरंतर आदि शक्ति है |मानव जीवन में प्रेम की व्यपकता को सभी दृष्टीयों सें स्वीकार किया गया है |साहित्य में भी संसार के प्राय: सभी रचनाकारों ने प्रेम को ही सर्वोच्च स्थान प्रदान किया है ओर यदि कहा जाय की प्रेम कविता सबसे महान प्रेरक शक्ति है तो इसमें कोई अतिशयोक्ती नहीं होगी |
Keywords : Article : Cite This Article : अनुज कुमार तरुण, (2013). केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं में प्रेम का स्वरूप . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. X, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3250.pdf References : - आधुनिक साहित्य की प्रवृतियॅ – नामवर सिहं लोक भारती प्रकाशन, इलाहाबाद
- प्रगतिशील काव्यधारा और केदारनाथ अग्रवाल डा. रामविलास शर्मा परिमल प्रकाशन इलाहाबाद
- राग – विराग – स रामविलास शर्मा, लोकभारती, प्रकाशन इलाहाबाद
- प्रगतिशील कविता के मील – पत्थर – सं. डा. रंजीत लोकभारती, प्रकाशन इलाहबाद
- रुपतरंग – डा. राम विलास वर्मा विनोद प्रकाशन मंदिर, आगरा
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