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Volume : III, Issue : IX, October - 2013

आलोचना के माध्यम से स्त्री

पूनम कुमारी सहरावत, संगीता

Published By : Laxmi Book Publication

Abstract :

भूमिका: साहित्य हमारे समाज का आईना होता है , किन्तु यह आईना जितना सीधे – सीधे हमें अपने समय की संवेदना से अवगत करता है , उतना ही कहीं गहरे सत्ता – समीकरण भी अपने भीतर समाए रहता है | इन सत्ता समीकरणों तक पहुँचने की हमारी राह आसान बनाती है आलोचना | आलोचना के बिना न तो हम साहित्य का पूरा – पूरा आस्वासन ले पाते हैं न ही उसका गम्भीर महत्त्व समझ पाते हैं | अत : साहित्य आलोचना का सबसे बुनियादी काम साहित्य को विभिन्न संदर्भ प्रदान करना है |

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पूनम कुमारी सहरावत, संगीता , (2013). आलोचना के माध्यम से स्त्री . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. IX, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3224.pdf

References :

  1. न्यूटिन , जूडिथ और डेबोरह (सम्पादन ) फेमिनिस्ट क्रिटिसिज्म एंड सोशल चेंज टेलर एण्ड फ्रेंसिस रूटलेज , युनाईटेड किंगडम १९८५ पृ.२०
  2. वही पृ.१८४
  3. न्यूटिन , जूडिथ और डेबोरह (सम्पादन ) फेमिनिस्ट क्रिटिसिज्म एंड सोशल चेंज टेलर एण्ड फ्रेंसिस रूटलेज , युनाईटेड किंगडम १९८५ पृ.२१
  4. गुरिन विल्फर्ड ए हैण्डबुक ऑपफ क्रिटिकल अप्रोच टू लिटरेचर , न्यूयॅार्क आक्सफोर्ड यू.पी . १९९९ पृ.७८

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