Volume : III, Issue : VIII, September - 2013 हरियाणवी लोकविनोद की अपरिचित विधाए एक अवलोकन महासिंह पुनिया Published By : Laxmi Book Publication Abstract : हरियाणवी बोली में लोक विनोदी प्रवृत्ति की भहुलता देखने को मिलती है | इस बोली का इतिहास हजारों साल वर्ष पुराना है | इसके इतिहास पर अगर हम दृष्टिपात करे तो इसका सीधा सम्ब्द वैदिक काल के असंख्य शब्द हरियाणवी बोली में आज भी : यों के त्यों विद्यमान हैं | वैदिक काल में जहां संस्कृत साहित्य की भाषा थी , वहीं पर हरियाणवी लोकभाषा के रूप में जनमानस की भावनाओं को अभिव्यक्त करने का काम कर रही थी | Keywords : Article : Cite This Article : महासिंह पुनिया , (2013). हरियाणवी लोकविनोद की अपरिचित विधाए एक अवलोकन . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. VIII, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3049.pdf References : - सम्पादक डॉ .परमानन्द पांचाल , भारत की महान विभूति आमीर खसरो व्यक्तित्व और कृतित्व
- सम्पादक कालिका प्रसाद , बृहत हिन्दी कोश
- आलोख सरमान शर्मा , कबीर की उल्टबासिया
- आलोख सरमान शर्मा , कबीर की उल्टबासिया
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