Volume : III, Issue : VII, August - 2013 वैश्विक स्तर पर हिन्दी का भविष्य सुनीता बामल Published By : Laxmi Book Publication Abstract : हिन्दी साहित्य में १००० ई आस पास हिन्दी भाषा का प्रारम्भ माना जाता है | तब से लेकर अब तक हिन्दी भाषा कभी अवधी के रूप में साहित्य विद्या रचने में सफल हुई, तो कभी ब्रज भाषा के रूप में | वर्तमान में हिन्दी का खड़ी बोली रूप अपने चरमोत्कर्ष पर है |
हिन्दी हमारी राज भाषा है| १४ सितम्बर, १९४९ को संविधान सभा में मत पारित कि - हिन्दी हमारी राजभाषा होगी और लिपि देवनागरी होगी |
Keywords : Article : Cite This Article : सुनीता बामल , (2013). वैश्विक स्तर पर हिन्दी का भविष्य . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. VII, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/2799.pdf References : - संविधान भाग -७ , अध्याय -१ धारा ३४३ (प)
- अक्षरा पृष्ट १०९,नवम्बर – दिसम्बर ,२००७
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