Volume : III, Issue : VII, August - 2013 जायसी साहित्य : समन्वय की विराट साधना ईश्वर सिंह सागवाल Published By : Laxmi Book Publication Abstract : मलिक मुहम्मद जायसी एक सच्चे इंसान थे | यदि उन्हें ‘ जायस का मानस ’, इंसान-ए-कामिल अथवा वेद-विहित ‘मुनुर्भव’ का प्रतिरूप कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी | हिन्दी साहित्य में जायसी भारतीय समन्वित संस्कृति के प्रतिनिधि महाकवि है | जायसी-साहित्य भारतीय अनेकता में भावात्मक एकता के समन्वय की विराट साधना है | इस भावात्मक एकता का प्राण-तत्व ‘प्रेम’ है | जायसी का ‘पद्मावत’ सूफी प्रेमाख्यानक काव्य-परम्परा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और ज्वलन्त कीर्ति-स्तम्भ है | Keywords : Article : Cite This Article : ईश्वर सिंह सागवाल , (2013). जायसी साहित्य : समन्वय की विराट साधना . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. VII, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/2781.pdf References : - -
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