Volume : VI, Issue : XI, December - 2016 समकालीन हिन्दी कथा लेखिकाओं के कथा साहित्य में नारी की स्थितिडाॅ. अर्चना झा, None By : Laxmi Book Publication Abstract : सृष्टि के निर्माण और संस्थान में नारी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। सभ्यता एवं संस्कृति के विकास का मूलाधार नारी रही है नारी-विमर्श का उद्देश्य साहित्य व समाज में नारी के उस दोयम दर्जे की स्थिति तथा उस स्थिति का बनायेे रखने के कारणों की खोज है जो नारी की स्थिति का जिम्मेदार है। Keywords : - सम- सामयिकता,
- पुरूष सत्तात्मक
- संवेदना, जीवंतता,
- सामाजिक-यर्थाथ,
- अभिव्यंजित,
- अभिव्यंजित,
- सामाजिक-यर्थाथ,
- सम- सामयिकता,
- पुरूष सत्तात्मक
- पुरूष सत्तात्मक
- संवेदना, जीवंतता,
- सम- सामयिकता,
- सामाजिक-यर्थाथ,
Article : Cite This Article : डाॅ. अर्चना झा, None(2016). समकालीन हिन्दी कथा लेखिकाओं के कथा साहित्य में नारी की स्थिति. Indian Streams Research Journal, Vol. VI, Issue. XI, http://isrj.org/UploadedData/9355.pdf References : - भाटिया अशोक-समकालीन हिन्दी कहानी का इतिहास, पृ.-12।
- मोहन नरेन्द्र -समकालीन कहानी की पहचान-भूमिका पृ.-07।
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