Volume : VI, Issue : VI, July - 2016 ऊषा भसीन के नाटक ‘तिनका-तिनका सुख’ में नारी-चेतनाबलजिंदर कौर, डॉक्टर विनोद कुमार By : Laxmi Book Publication Abstract : नारी और पुरुष एक सिक्के के दो पहलू है| वह एक दुसरे के बिना अधुरे है| जैसे सिक्के के एक पहलू को दुसरे से अलग नही किया जा सकता, वैसे ही स्त्री और पुरुष का रिश्ता अट्टु है| सदियोंसे स्त्री पुरुष की अर्धांगिनी रही है| Keywords : Article : Cite This Article : बलजिंदर कौर, डॉक्टर विनोद कुमार(2016). ऊषा भसीन के नाटक ‘तिनका-तिनका सुख’ में नारी-चेतना. Indian Streams Research Journal, Vol. VI, Issue. VI, http://isrj.org/UploadedData/8496.pdf References : - उषा भसीन , ‘तिनका-तिनका सुख’ नाटक, नी दिल्ली, पापुलेशन कॅम्युनिकेशनज इंटरनेशनलन्यूयार्क, पृ. सं. ६.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, मीना सिन्हा, ‘इलाचन्द्र जोशी के उपन्यासो में नारी-चरित्र’, अंक १४, वर्ष ४, जनवरी-मार्च २००७, पृ.सं. २८.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, सोनिया रानी, नारी चेतना का भारतीय संदर्भ: विभिन्न पडाव’ अंक२७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.४०.
- दिविक रमेश, ‘स्त्री विमर्श: प्रतिशोध नही प्रतिरोध है’, पृ.सं..१
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, प्रवीण बाला, ‘कथा कहो उर्वशी में नारी-संवेदना, अंक २७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.५५.
- दिविक रमेश, ‘स्त्री विमर्श: प्रतिशोध नही प्रतिरोध है’, पृ.सं..१
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, प्रवीण बाला, ‘कथा कहो उर्वशी में नारी-संवेदना, अंक २७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.५५.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, प्रवीण बाला, ‘कथा कहो उर्वशी में नारी-संवेदना, अंक २७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.५५.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, प्रवीण बाला, ‘कथा कहो उर्वशी में नारी-संवेदना, अंक २७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.५५.
- उषा भसीन , ‘तिनका-तिनका सुख’ नाटक, नी दिल्ली, पापुलेशन कॅम्युनिकेशनज इंटरनेशनलन्यूयार्क, पृ. सं. ६.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, मीना सिन्हा, ‘इलाचन्द्र जोशी के उपन्यासो में नारी-चरित्र’, अंक १४, वर्ष ४, जनवरी-मार्च २००७, पृ.सं. २८.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, सोनिया रानी, नारी चेतना का भारतीय संदर्भ: विभिन्न पडाव’ अंक२७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.४०.
- दिविक रमेश, ‘स्त्री विमर्श: प्रतिशोध नही प्रतिरोध है’, पृ.सं..१
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, सोनिया रानी, नारी चेतना का भारतीय संदर्भ: विभिन्न पडाव’ अंक२७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.४०.
- उषा भसीन , ‘तिनका-तिनका सुख’ नाटक, नी दिल्ली, पापुलेशन कॅम्युनिकेशनज इंटरनेशनलन्यूयार्क, पृ. सं. ६.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, मीना सिन्हा, ‘इलाचन्द्र जोशी के उपन्यासो में नारी-चरित्र’, अंक १४, वर्ष ४, जनवरी-मार्च २००७, पृ.सं. २८.
- दिविक रमेश, ‘स्त्री विमर्श: प्रतिशोध नही प्रतिरोध है’, पृ.सं..१
- उषा भसीन , ‘तिनका-तिनका सुख’ नाटक, नी दिल्ली, पापुलेशन कॅम्युनिकेशनज इंटरनेशनलन्यूयार्क, पृ. सं. ६.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, मीना सिन्हा, ‘इलाचन्द्र जोशी के उपन्यासो में नारी-चरित्र’, अंक १४, वर्ष ४, जनवरी-मार्च २००७, पृ.सं. २८.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, सोनिया रानी, नारी चेतना का भारतीय संदर्भ: विभिन्न पडाव’ अंक२७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.४०.
- उषा भसीन , ‘तिनका-तिनका सुख’ नाटक, नी दिल्ली, पापुलेशन कॅम्युनिकेशनज इंटरनेशनलन्यूयार्क, पृ. सं. ६.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, मीना सिन्हा, ‘इलाचन्द्र जोशी के उपन्यासो में नारी-चरित्र’, अंक १४, वर्ष ४, जनवरी-मार्च २००७, पृ.सं. २८.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, सोनिया रानी, नारी चेतना का भारतीय संदर्भ: विभिन्न पडाव’ अंक२७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.४०.
- दिविक रमेश, ‘स्त्री विमर्श: प्रतिशोध नही प्रतिरोध है’, पृ.सं..१
- उषा भसीन , ‘तिनका-तिनका सुख’ नाटक, नी दिल्ली, पापुलेशन कॅम्युनिकेशनज इंटरनेशनलन्यूयार्क, पृ. सं. ६.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, मीना सिन्हा, ‘इलाचन्द्र जोशी के उपन्यासो में नारी-चरित्र’, अंक १४, वर्ष ४, जनवरी-मार्च २००७, पृ.सं. २८.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, सोनिया रानी, नारी चेतना का भारतीय संदर्भ: विभिन्न पडाव’ अंक२७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.४०.
- दिविक रमेश, ‘स्त्री विमर्श: प्रतिशोध नही प्रतिरोध है’, पृ.सं..१
- उषा भसीन , ‘तिनका-तिनका सुख’ नाटक, नी दिल्ली, पापुलेशन कॅम्युनिकेशनज इंटरनेशनलन्यूयार्क, पृ. सं. ६.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, मीना सिन्हा, ‘इलाचन्द्र जोशी के उपन्यासो में नारी-चरित्र’, अंक १४, वर्ष ४, जनवरी-मार्च २००७, पृ.सं. २८.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, सोनिया रानी, नारी चेतना का भारतीय संदर्भ: विभिन्न पडाव’ अंक२७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.४०.
- दिविक रमेश, ‘स्त्री विमर्श: प्रतिशोध नही प्रतिरोध है’, पृ.सं..१
- उषा भसीन , ‘तिनका-तिनका सुख’ नाटक, नी दिल्ली, पापुलेशन कॅम्युनिकेशनज इंटरनेशनलन्यूयार्क, पृ. सं. ६.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, मीना सिन्हा, ‘इलाचन्द्र जोशी के उपन्यासो में नारी-चरित्र’, अंक १४, वर्ष ४, जनवरी-मार्च २००७, पृ.सं. २८.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, सोनिया रानी, नारी चेतना का भारतीय संदर्भ: विभिन्न पडाव’ अंक२७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.४०.
- दिविक रमेश, ‘स्त्री विमर्श: प्रतिशोध नही प्रतिरोध है’, पृ.सं..१
- दिविक रमेश, ‘स्त्री विमर्श: प्रतिशोध नही प्रतिरोध है’, पृ.सं..१
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, प्रवीण बाला, ‘कथा कहो उर्वशी में नारी-संवेदना, अंक २७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.५५.
- उषा भसीन , ‘तिनका-तिनका सुख’ नाटक, नी दिल्ली, पापुलेशन कॅम्युनिकेशनज इंटरनेशनलन्यूयार्क, पृ. सं. ६.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, मीना सिन्हा, ‘इलाचन्द्र जोशी के उपन्यासो में नारी-चरित्र’, अंक १४, वर्ष ४, जनवरी-मार्च २००७, पृ.सं. २८.
- डॉ. हुकूमचंद राजपाल, ‘शब्द सरोकार’, सोनिया रानी, नारी चेतना का भारतीय संदर्भ: विभिन्न पडाव’ अंक२७, वर्ष ७ अप्रैल-जून २०१०, पृ.सं.४०.
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