Volume : VI, Issue : III, April - 2016 निराला और शुभदर्शन के काव्य में विद्रोह : एक तुलनात्मक अध्ययनजोगिता रानी, विनोद कुमार By : Laxmi Book Publication Abstract : मनुष्य के जन्म के साथ ही विद्रोह का जन्म हुआ है। मनुष्य और विद्रोह परस्पर साथ ही चलते हैं। विद्रोह मनुष्य की मूल भावना हैए जिसमें अस्वीकार की प्रवृति मुख्य रूप से रहती है। साधारण रूप में किसी राज्यए व्यक्तिए विचारधारा या रूढ़िगत परंपरा को न मानकर उसके विपरीत कार्य करना ही विद्रोह है। विद्रोह को मुख्य दो भागों में विभाजित किया जा सकता है दृ नकारात्मक और सकारात्मक। नकारात्मक विद्रोह में भावनाएं स्वच्छ नहीं होती लेकिन सकारात्मक विद्रोह जनदृकल्याण की भावना से ओत.प्रोत होता है। हिन्दी विश्वकोश के अनुसार विद्रोह का अर्थ होता है .अनिष्टाचरणष् किसी के प्रति होने वाला द्वेष या आचरण, जिसको हानि पहुंचे, राज्य में होने वाला भारी उपद्रव जो राज्य को कष्ट पहुंचाने या नष्ट करने के उदेश्य से हो। Keywords : Article : Cite This Article : जोगिता रानी, विनोद कुमार(2016). निराला और शुभदर्शन के काव्य में विद्रोह : एक तुलनात्मक अध्ययन. Indian Streams Research Journal, Vol. VI, Issue. III, http://isrj.org/UploadedData/8077.pdf References : - निराला : सामाजिक व्यवस्थाष्, निराला रचनावली, खण्ड छ:, नंदकिशोर नवल, राजकमल प्रकाशन,1973, पृष्ठ .305 ․
- नन्ददुलारे बाजपायी : कवि निरालाष्,वाणीवितान प्रकाशनए दिल्ली, 1965, पृष्ठ .19 ․
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- नगेन्द्र्नाथ वसु :हिन्दी विश्वकोश भाग 29ए बी॰आर॰पब्लिशिंग कारपोरेशनए दिल्ली 1986 ․
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल : कविता क्या हैष्ए संकलित श्रेष्ठ निबंधए रामचन्द्र तिवारी, राजकमल प्रकाशनए 1985 ․
- निराला : सरोज स्मृति रचनावली खण्ड एक, पृष्ठ दृ 303.304 ․
- विनोद तनेजा : संघर्ष से सरोकार का कविरूशुभदर्शनए विभोर प्रकाश, अमृतसर, 2014, पृष्ठ.25 ․
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