Volume : VI, Issue : II, March - 2016 “स्त्री – विमर्श : समय की माँग”रुकसाना जमादार, None By : Laxmi Book Publication Abstract : भारतीय संस्कृति में “स्त्री’ का उच्चतम स्थान है | उसे ‘देवी’, ‘दुर्गा’ का अवतार मानाजाता है| ‘स्त्री मूर्ति को पुजनेवाली भारतीय संस्कृती में घर की स्त्रियो से ही कितना निर्दयी व्यवहार किया जाता है, याह हम देखते ही है| घर में लडकी का पैदा होणा ही सारे परिवार को दुख में डूबो देता है और लडकी को जन्म देनेवाली ‘स्त्री’ के सुख-दुख की तनिक भी चिंता न करते हुए उसे घृणा से देखा जाता है| अत: इन उपेक्षाओ कें बोझ से दबकर उसे महसूस होणे लागता है कि जो जीवन वह जी राही है, उस पर स्वंय का भी अधिकार नही, ऐसी कल्पना उसके भीतर निरतर बनती जा राही है| इसे ही उसके मन से निकालना है| Keywords : Article : Cite This Article : रुकसाना जमादार, None(2016). “स्त्री – विमर्श : समय की माँग”. Indian Streams Research Journal, Vol. VI, Issue. II, http://isrj.org/UploadedData/8048.pdf References : - नारी चिंतन: नयी चुनौतिया : डॉ. राजकुमारी गडकर, प्रकाशक: अन्नपूर्णा प्रकाशन, प्रथम संस्कारण, प्रकाशन वर्ष २००४, पृष्ठ क्र. ४०, ४१|
- हिंदी लेखिकाओ की आत्मकथाए: डॉ. स्र्जुप्रसाद मिश्र, अमान प्रकाशन, प्रथम संस्कारण, २०११, ‘नारी – विमर्श’, पृष्ठ क्र. २५, ३२ |
- नारी चिंतन: नयी चुनौतिया : डॉ. राजकुमारी गडकर, प्रकाशक: अन्नपूर्णा प्रकाशन, प्रथम संस्कारण, प्रकाशन वर्ष २००४, पृष्ठ क्र. ४०, ४१|
- हिंदी लेखिकाओ की आत्मकथाए: डॉ. स्र्जुप्रसाद मिश्र, अमान प्रकाशन, प्रथम संस्कारण, २०११, ‘नारी – विमर्श’, पृष्ठ क्र. २५, ३२ |
- हिंदी लेखिकाओ की आत्मकथाए: डॉ. स्र्जुप्रसाद मिश्र, अमान प्रकाशन, प्रथम संस्कारण, २०११, ‘नारी – विमर्श’, पृष्ठ क्र. २५, ३२ |
- नारी चिंतन: नयी चुनौतिया : डॉ. राजकुमारी गडकर, प्रकाशक: अन्नपूर्णा प्रकाशन, प्रथम संस्कारण, प्रकाशन वर्ष २००४, पृष्ठ क्र. ४०, ४१|
- हिंदी लेखिकाओ की आत्मकथाए: डॉ. स्र्जुप्रसाद मिश्र, अमान प्रकाशन, प्रथम संस्कारण, २०११, ‘नारी – विमर्श’, पृष्ठ क्र. २५, ३२ |
- नारी चिंतन: नयी चुनौतिया : डॉ. राजकुमारी गडकर, प्रकाशक: अन्नपूर्णा प्रकाशन, प्रथम संस्कारण, प्रकाशन वर्ष २००४, पृष्ठ क्र. ४०, ४१|
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