Volume : V, Issue : IX, October - 2015 गायत्री मन्त्र आधुनिक परिप्रेक्ष्य मेंनीरज शर्मा, None By : Laxmi Book Publication Abstract : ओ३म भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो
देवस्व धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात ॥ यजुर्वेद, ३६-३.
परमात्मा हम आपके उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप श्रेष्ठ, तेजस्वई पापनाशक, दिव्यगुण युक्त स्वरूप को धारण करते हैं, जो हमारी बुध्दि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
ओ३म – परमात्मन ।भूः – सत स्वरूप ।भुवः – चित्तस्वरूप । स्वः – आनन्दस्वरूप ।तत – उस ।सवितुः – संसार के उत्पादक ।वरेण्यं – श्रेष्ठ ।भर्गः – तेज को ।देवस्य – दिव्य गुणयुक्त ।धीमहि – धारण करते हैं ।धियो – बुध्दि को ।यो – जो ।नः– हमारी। प्रचोदयात – सत्ककर्मों में प्रेरित करे ।
Keywords : Article : Cite This Article : नीरज शर्मा, None(2015). गायत्री मन्त्र आधुनिक परिप्रेक्ष्य में. Indian Streams Research Journal, Vol. V, Issue. IX, http://isrj.org/UploadedData/7300.pdf References : - www.isrj.org
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