DOI Prefix : 10.9780 | Journal DOI : 10.9780/22307850
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Volume : IV, Issue : X, November - 2014

प्राचीन भारतीय संस्कृति में पर्यावरण की अवधारणा: पर्यावरणीय घटक “जल” के विशेष सन्दर्भ में

डी. पी. सकलानी , प्रेम बहादुर

DOI : 10.9780/22307850, By : Laxmi Book Publication

Abstract :

‘संस्कृति’ का अर्थ है संस्कारयुक्त होना, अर्थात् आध्यात्मिक एवं भौतिक संस्कारों तथा क्रिया – कलापों से ओत-प्रोत हो जाना | मैलिनाउस्की के अनुसार “संस्कृति सामाजिक विरासत है जिसमें परम्परा से प्राप्त हुआ कला-कौशल , सामग्री, यान्त्रिक क्रियाऍ,विचार,आदतें, और मूल्य समावेशित हैं “ | वस्तुत: संस्कृति वह जीवन पद्धति है जिसकी स्थापना मानव व्यक्ति तथा समूह के रूप में करता है यह उन अविष्कारों का संग्रह है जिनका अन्वेषण मानव ने अपने जीवन को सफल बनाने के लिए किया है|

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डी. पी. सकलानी , प्रेम बहादुर (2014). प्राचीन भारतीय संस्कृति में पर्यावरण की अवधारणा: पर्यावरणीय घटक “जल” के विशेष सन्दर्भ में . Indian Streams Research Journal, Vol. IV, Issue. X, DOI : 10.9780/22307850, http://isrj.org/UploadedData/5542.pdf

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  93. ग्रषमस्ते भूमें वर्षाणि शरद्धेमन्त: शिशिरो वसन्त: | ऋतवस्ते विहिता हयनीरहोरात्रे पृथिवि नो दुहातान |
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