Volume : IV, Issue : III, April - 2014 भारतीय परंपरा में आत्म तत्व संबंधी विचार  ललित मोहन जोशी , - By : Laxmi Book Publication Abstract : व्यक्तित्व का सम्प्रत्यय ज्ञान की अनेक शाखाओं के अध्ययन का महत्वपूर्ण विषय है। दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान तथा शिक्षाशास्त्र के अध्येताओं द्वारा अपने-अपने दृष्टिकोण के अनुसार इसकी व्याख्या एवं विवेचना की गई है। आत्म एवं व्यक्तित्व एक दूसरे से गहन रुप से सम्बंधित हैं। अतः व्यक्तित्व की व्याख्या हेतु आत्म का अध्ययन अत्यंत आवश्यक हो जाता है। शोधकर्ताओं द्वारा किये गये आत्म संबंधी अध्ययनों से यह पुष्टि हो चुकी है कि "आत्म" व्यक्तित्व का केन्द्र है। व्यक्तित्व के विकास के लिये आत्म प्रत्यय का विकास अत्यावश्यक है। Keywords : Article : Cite This Article : ललित मोहन जोशी , -(2014). भारतीय परंपरा में आत्म तत्व संबंधी विचार . Indian Streams Research Journal, Vol. IV, Issue. III, http://isrj.org/UploadedData/11247.pdf References : - 1. ईशादि नौ उपनिषद, शांकरभाष्यार्थ, गोरखपुर : गीता प्रेस।
- 2. उपाध्याय, बलदेव (1997), भारतीय दर्शन, वाराणसी शारदा मंदिर।
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