Volume : XIV, Issue : II, March - 2024 छाव्यवोद्दत्तर हिन्दी रसात्मक - काव्य में लोकतत्व Renukadevi, Dr. Vidya Sagar Singh By : Laxmi Book Publication Abstract : यह अध्ययन "छाव्यवोद्दत्तर हिन्दी रसात्मक काव्य में लोकतत्व" के संदर्भ में हिन्दी कविता में लोकाचार, लोकसंस्कृति और लोकधारा के तत्वों की उपस्थिति का विश्लेषण करता है। इस शोध का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि किस प्रकार हिन्दी काव्य में, विशेष रूप से रसात्मक (aesthetic) दृष्टिकोण से, लोकसाहित्य और लोकसंस्कृति के तत्वों का समावेश होता है। Keywords : Article : Cite This Article : Renukadevi, Dr. Vidya Sagar Singh (2024). छाव्यवोद्दत्तर हिन्दी रसात्मक - काव्य में लोकतत्व. Indian Streams Research Journal, Vol. XIV, Issue. II, http://isrj.org/UploadedData/11211.pdf References : - 1. शुक्ला, आर. (1979)। हिन्दी काव्य शास्त्र: एक अध्ययन। वाणी प्रकाशन.
- 2. तिवारी, ए. (2003)। लोक साहित्य और हिंदी काव्य में लोकतत्त्व। हिंदी अकादमी.
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