Volume : XIII, Issue : VI, July - 2023 निहाली की स्वनिमिक संरचनाडॉ. सौरभ कुमार, डॉ. चन्दन सिंह By : Laxmi Book Publication Abstract : निहाली समुदाय का कोरकू समुदाय से परंपरागत संबंध रहा है। निहाली जनजाति के लोग प्रायः कोरकू जनजाति के गाँवों में या उसके आस-पास बसते हैं। इस कारण से निहाली बोलने वाले बहुत से लोग कोरकू भाषा में भी द्विभाषीय होते हैं। निहाली भाषा में प्रयुक्त अनेक शब्द समीपवर्ती क्षेत्रीय भाषाओं से मिलते-जुलते हैं। इनके अधिकांश शब्द कोरकू एवं मराठी भाषा से लिए गए हैं तथा कुछ शब्द द्रविड़ भाषा परिवार की भाषाओं से भी लिए गए हैं। आधुनिक निहाली में पारंगत लोग मराठी, हिंदी या कोरकू की कई किस्में भी बोलने लगे हैं। निहाली जनजाति का मुख्यतः कार्य खेती एवं मजदूरी करना रहा है। ये कोरकू जनजाति के पास खेती मजदूरी करते हैं जिसका सर्वाधिक प्रभाव उनकी भाषा पर दिखाई देता है। Keywords : Article : Cite This Article : डॉ. सौरभ कुमार, डॉ. चन्दन सिंह(2023). निहाली की स्वनिमिक संरचना. Indian Streams Research Journal, Vol. XIII, Issue. VI, http://isrj.org/UploadedData/10769.pdf References : - 2. Anderson, Gregory (2008). The Munda Languages. New York, New York: Routledge.
- 3. Franciscus Bernardus Jacobus Kuiper, (1962) ‘Nahali: a comparative study’, Mededeelingen der Koninklijke Nederlandsche Akademie van Wetenschappen, Afd. Letterkunde, N.V. Noord-Hollandsche Uitg. Mij.
- 1. धल, जी. बी. (1981), ‘ध्वनि विज्ञान’, बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी, 195 बी. श्रीकृष्णपुरी, पटना 800001.
- 4. Nagaraja, K.S. (2014), ‘The Nihali Language’, Manasagangotri, Mysore-570006, India: Central Institute of Indian Languages.
- 5. Ohala, Manjari. (1983), ‘Aspects of Hindi Phonology’, Motilaal Banarsidass. Varanasi 221001.
|
Article Post Production
No data exists for the row/column.
|