Volume : XII, Issue : XI, December - 2022 बाल कथा साहित्य के विकास की प्रक्रिया का अध्ययनअनुपमा तिवारी, डाॅ. ओम प्रकाश द्विवेदी By : Laxmi Book Publication Abstract : शिशु की शब्दावली सरल होती है। धीरे-धीरे उसकी ग्राह्य क्षमता बढ़ती जाती है। अब अपेक्षाकृत बालक की बौद्धिक शक्ति भी विकसित होने लगती है। विषय में भी परिवर्तन होता है। अब उसमें बाल मनोविज्ञान, नटखटपन, उसके संगी-साथी, स्कूल, घर से बाहर का परिवेश आदि समाहित हो जाता है। Keywords : Article : Cite This Article : अनुपमा तिवारी, डाॅ. ओम प्रकाश द्विवेदी(2022). बाल कथा साहित्य के विकास की प्रक्रिया का अध्ययन. Indian Streams Research Journal, Vol. XII, Issue. XI, http://isrj.org/UploadedData/10591.pdf References : - M.E. Walsh – The Relation of Nursery School Training to the Development of Certain Personality Traits, Child Development.
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