Volume : XII, Issue : VII, August - 2022 केदारनाथ अग्रवाल के काव्य में ग्रामीण जीवन के सामाजिक आयामरचना शुक्ला, डाॅ. परमानन्द तिवारी By : Laxmi Book Publication Abstract : केदारनाथ अग्रवाल के काव्य में ग्रामीण जीवन की अवधारणा, शोषण, संघर्ष, समाज में ऊँच-नीच की भावना, छुआछूत, वर्ग-संघर्ष, आर्थिक विषमताएँ, विधवा समस्या, बाल-विवाह, वैवाहिक समस्याएँ, अमीर-गरीब जैसी विषमता मूलक सामाजिक आघात की प्रतिक्रिया स्वरूप चमत्कार को प्रदर्शित करती है। Keywords : Article : Cite This Article : रचना शुक्ला, डाॅ. परमानन्द तिवारी(2022). केदारनाथ अग्रवाल के काव्य में ग्रामीण जीवन के सामाजिक आयाम. Indian Streams Research Journal, Vol. XII, Issue. VII, http://isrj.org/UploadedData/10518.pdf References : - केदारनाथ अग्रवाल - आग का आईना, पृष्ठ 65
- केदारनाथ अग्रवाल - मार-प्यार की थापें, पृष्ठ 89
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