Volume : XII, Issue : VII, August - 2022 साठोत्तरी कविता में सौन्दर्य का नया स्वरूप: आर्थिक वैषम्य पर आधारित कवितामुक्ता रानी कंचकार, डाॅ. परमानन्द तिवारी By : Laxmi Book Publication Abstract : बीसवीं सदी में सम्प्रदायवाद, धार्मिक तत्ववाद, विघटनकारी और जनता में तरह-तरह के संकीर्ण विभाजनकारी रुझान पैदा करने वाली शक्तियों ने हमारी राष्ट्रीय एकता के साथ-साथ हमारे राष्ट्रीय नवजागरण और स्वाधीनता संग्राम के सारे जनतांत्रिक और जीवन के उदात्त मूल्यों के अस्तित्व को संकटग्रस्त कर दिया है, उनकी चिन्ता भी आज की कविता में व्यापक रूप से मौजूद है।
Keywords : Article : Cite This Article : मुक्ता रानी कंचकार, डाॅ. परमानन्द तिवारी(2022). साठोत्तरी कविता में सौन्दर्य का नया स्वरूप: आर्थिक वैषम्य पर आधारित कविता. Indian Streams Research Journal, Vol. XII, Issue. VII, http://isrj.org/UploadedData/10516.pdf References : - समकालीन कविता की प्रवृत्तियाँ, पृष्ठ 171, डाॅ. रामकली सराफ.
- समकालीन कविता की प्रवृत्तियाँ, पृष्ठ 172, डाॅ. रामकली सराफ.
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