Volume : VI, Issue : VII, August - 2016 विज्ञापन और स्त्रीडॉ. विवेक कुमार जायसवाल, None By : Laxmi Book Publication Abstract : विज्ञापन और स्त्री के संबंधों को समझने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना होगा| आमतौर पर जब विज्ञापन और स्त्री पर बात की जाती है तो जेहन में सबसे पहले यही बात आती है कि विज्ञापन में स्त्री को किस प्रकार दिखाया जाता है? विज्ञापन में स्त्री के प्रस्तुतीकरण पर बहस हमेशा से ही चली आ रही है लेकिन, विज्ञापन और स्त्री का संबंध प्रस्तुतीकरण के अतिरिक्त भी कई मायनों में है, जिसे समझना आज के समय में और महत्त्वपूर्ण हो जाता है| Keywords : Article : Cite This Article : डॉ. विवेक कुमार जायसवाल, None(2016). विज्ञापन और स्त्री. Indian Streams Research Journal, Vol. VI, Issue. VII, http://isrj.org/UploadedData/10491.pdf References : - चतुर्वेदी, जगदीश्वर माध्यम साम्राज्यवाद, ग्रंथ शिल्पी प्रकाशन, नई दिल्ली, २००२
- रॉबर्ट डब्ल्यू मैक्चेस्नी, इलेन मिकिसंस वुड, जोन बेलेमी फ़ॉस्टर (संपा.), पूंजीवाद और सूचना का युग, ग्रंथ शिल्पी प्रकाशन, नई दिल्ली, २००६
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