Volume : XI, Issue : XII, January - 2022 वैदिक वाङ्मय और राष्ट्रीयताडाॅ. कनक रानी, None By : Laxmi Book Publication Abstract : वैदिक संहिताओं ने राष्ट्रभक्ति के स्वर यत्र तत्र गुंजायमान किए। भारतीय संस्कृति में नैतिक मूल्यों के अंतर्गत राष्ट्रीयता को सर्वोच्च मूल्य के रूप में मान्यता प्राप्त है- राष्ट्र देवो भव। मानव राष्ट्र का ऋणी है। अतः मानव की राष्ट्र के प्रति स्वकर्तव्य तथा अगाध निष्ठा समीचीन हैं। Keywords : Article : Cite This Article : डाॅ. कनक रानी, None(2022). वैदिक वाङ्मय और राष्ट्रीयता. Indian Streams Research Journal, Vol. XI, Issue. XII, http://isrj.org/UploadedData/10380.pdf References : - 1- यजुर्वेद/9/23
- 2- अथर्ववेद/12/1/12
- 4- अथर्ववेद/12/1/2
- 3-यजुर्वेद/22/22
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