Volume : VI, Issue : XI, December - 2016 मानव शरीर पर लोक कलानीतू खतरी, डाॅ. बी.एस. गुलिया By : Laxmi Book Publication Abstract : प्रत्येक लोक कला का अपना सांस्कृतिक महत्व अवश्य रखती हेै। उसके साथ कई प्रकार की रूढियां और कई प्रकार के संस्कार जुडें हैं। अतः लोेक अभिरूचि के उत्कृष्ट उदाहरण भित्ति चि़त्र एंव आंगन या दीवार को पोत कर स्वच्छता मानव मन को पवित्र कर देती है। मन पवित्र होने पर शरीर किसी, गलीज या घृणित कार्य की ओर अग्रसर नहीं हो सकता हैं।
Keywords : Article : Cite This Article : नीतू खतरी, डाॅ. बी.एस. गुलिया(2016). मानव शरीर पर लोक कला. Indian Streams Research Journal, Vol. VI, Issue. XI, http://isrj.org/UploadedData/10333.pdf References : - अग्र्रवाल, एस.डी.; हरियाणा: सामान्य ज्ञान; रमेश पब्लिशिंग हाऊस, दिल्ली; 1995
- यादव, के0सी0; हरियाणा: ऐतिहासिक सिंहावलोकन ।
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