Volume : V, Issue : II, March - 2015 गुप्तकालीन कला के विविध आयाम : एक पुनरावलोकनराधिका, None DOI : 10.9780/22307850, By : Laxmi Book Publication Abstract : कला विकास यात्रा की भारतीय परंपरा का इतिहास अत्यंत प्राचीन है| ताम्रप्रस्तर युगीन सैन्धव सभ्यता से लेकर एतिहासिक संस्कृति के काल क्रम में इस देश की कला धारा अपने प्रवाहमान स्वरूप की साक्षी है| वैदिक कालीन साहित्य में प्राप्त कलात्मक विचारों का पुरातात्विक प्रमाण अभी अप्राप्य है, किन्तु उसी परंपरा में शिशुनाग, नंद मौर्य, शुग, सातवाहन, कुषाण गुप्त आदि शासकों के काल में स्थापत्य कला, मूर्तिकला, चित्रकला, मृण्मय, धातु, संगीत एवं अलंकरण, आभूषण कलाओं के बहुमुखी विकास में दृष्टिगत होता है, जो की अत्यंत विस्तृत एवं विशाल है| Keywords : Unable to cast object of type 'System.DBNull' to type 'System.String'.
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